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सत्यासारिणी, आखिर लगाम लगायेगा कौन?

दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा
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केरल के मलप्पुरम जिले में “मरकजुल हिदया सत्या सारणी” संस्था को भले ही बहुत कम लोग जानते हो पर यह संस्था इस समय देश में चर्चा का विषय बनी हुई है. वैसे दिखावे को तो यह संस्था कहती है कि केरल का धार्मिक क्षेत्र मनुष्य देवताओं की पकड़ में है, हम आध्यात्मिक सुधार और ईश्वर के डर की खोज के बजाय अर्थहीन संस्कार करते हैं.मानसिक अराजकता और उथलपुथल इच्छा से हताश लोगों के लिए सत्यासारिणी एक सच्चाई की यात्रा हैं. लेकिन इस संस्था की सच्चाई का रास्ता धर्मांतरण पर आकर खत्म हो जाता है. हाल ही में एक टीवी चैनल के ऑपरेशन कन्वर्जन फैक्टरी से यह खुलासा हुआ हैं कि इस संगठन के शीर्ष पदाधिकारियों ने साफतौर से यह स्वीकार किया था कि वे बड़े पैमाने पर धर्मांतरण, अवैध फाइनेंसिंग करते हैं और उनका अंतिम लक्ष्य भारत को एक इस्लामी देश बनाना है.

आज से करीब पांच साल पहले अस्तित्व में आई सत्यासारणी संस्था का उद्घाटन 7 जनवरी 2012 को हुआ, संस्था एक मुस्लिम बहुल इलाके से अपना कार्य करती है यह एक पूरी तरह से शैक्षिक परिसर हैं जो एक बार में 200 व्यक्तियों का आयोजन करता है. पुरुषों और महिलाओं, कक्षा के कमरे, मस्जिद, पुस्तकालय, दवाखाने, कार्यालय, बैठक हॉल, डाइनिंग हॉल आदि छात्रावासों के साथ बनाया गया है. संस्था के अधिकारी स्वीकार करते हुए बताते है कि सत्यासारिणी में हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्म के लोग आते है जिनका ब्रेनवाश कर इस्लाम में आने की दावत दी जाती है.

हालाँकि धर्म परिवर्तन वही लोग करते जो वैचारिक रूप से कमजोर होते है किन्तु कई बार इन्सान को वैचारिक रूप से कमजोर भी कर दिया जाता है जिसका ताजा उदाहरण है केरल हैं पिछले दिनों जहां एक महिला ने बेटी को जबरन मुस्लिम बनाने की शिकायत जिले के पनगोड़ थाने में दर्ज की थी महिला का आरोप है कि उसकी बेटी अपर्णा को कुछ लोगों ने गुमराह करके इस्लाम अपनाने का दबाव डाला था, जिसके बाद उसने अपना नाम अपर्णा से शबाना कर लिया है. पढाई के लिए साल 2013 में एर्नाकुलम गयी थी. लेकिन आज गैर मुस्लिमों के बीच इस्लाम का प्रचार करने वाली संस्था ‘ सत्या सारणी ’ में रहती है.गौर करने वाली बात है अपर्णा से पहले हिन्दु लड़की निमिषा अलियास फातिमा का भी जबरन धर्म परिवर्तन का मामला सामने आया था, बताया जा रहा है फातिमा 20 अज्ञात लड़को के साथ इराक या सीरिया पहुंच चुकी है.

इसी तरह अगस्त 2010 में तमिलनाडु के सेलम में सिवराज होमियोपैथी मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में पढने गयी केएम अशोकन की इकलौती बेटी हदिया आज अखिला के नाम से जानी जाती है. अखिला के दादा की मौत के बाद घर में पूजा की जा रही थी. अखिला ने वहां बैठने से इंकार कर दिया. घरवालों के पूछने पर उसने बताया की वह इस्लाम धर्म अपना चुकी है. कुछ समय बाद वह अपने सेलम स्थित कॉलेज जाने के बहाने घर से चली गई. अखिला भी अब मरकजुल हिदया सत्या सारणी संस्था से जुडी है. दिसंबर 2016 में उसकी शादी शैफीन नामक शख्स से हो गई. हालाँकि उनकी शादी का मामला पिता केएम अशोकन की याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट में अटका है जिसकी जाँच राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) कर रही है.

बिंदू संपत की बेटी निमिषा भी इसी षड्यन्त्र का हिस्सा बन चुकी है सज्जाद रहमान ने उसको भी प्रेमजाल में फंसाया गया, उसका उत्पीड़न हुआ, गर्भपात के लिए मजबूर किया गया, इस्लाम में कन्वर्ट किया गया और आखिरकार सज्जाद रहमान नाम के शख्स ने उसे छोड़ दिया ये सब कुछ तब हुआ जब वह कॉलेज में पढ़ रही थी. बिंदु संपत का दावा है कि उनकी बेटी निमिषा संभवतः अफगानिस्तान में है. और आईएस के कैंप में हो सकती है.

देखा जाएँ तो आदि शंकराचार्य की देव भूमि केरल में धर्मांतरण के दानवो की सत्या सारिणी एक अकेली संस्था नहीं है. दूसरी संस्था पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के बारे में भी अब केरल पुलिस का दावा है कि इसके 6 कार्यकर्ता आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में भर्ती हो चुके हैं. इनमें एक महिला भी है. एक न्यूज चैनल के स्टिंग के बाद केरल की स्वयंसेवी संस्था पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया भी जांच के घेरे में है. पीएफआई पर आरोप है कि वह हिंदू महिलाओं का ब्रेनवाश कर उनकी मुस्लिरमों से शादी और धर्मांतरण कर रहा है.

इतिहास से सबक मिलता है कि सदियों से मुस्लिम देशों की कोशिश भारत देश को कभी सैन्य विजय के जरिए तो कभी सूफीवाद के जरिये मुस्लिम देश (दारुल-इस्लाम) में बदलने की रही है. हिंदू राजाओं ने इन चुनौतियों का सामना किया और इसका अंत देश के खूनी बंटवारे रूप में हुआ. आज भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे ने दारुल हरम की राहें और आसान कर दी है. फिलहाल जन सांख्यिकीय युद्ध में मुस्लिम कोख सबसे ताकतवर हथियार के रूप में सामने आ रही है दूसरा एक गैर-मुस्लिम स्त्री के इस्लाम स्वीकार करने का सीधा मतलब है एक गैर मुस्लिम कोख का मुस्लिम कोख में बदलना. यह समस्या सबसे ज्यादा केरल में है. अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े के अनुसार केरल से (2007) में 2167, (2008) में 2530, (2009) में 2909, (2010) में 3232, (2011) 3678 और (2012) 4310 लड़कियां लापता हुई हैं. इन लड़कियों में से 3600 के बारे में पुलिस और जांच एजेंसियों तक को भी को कोई जानकारी नहीं है.

यदि इन तथ्यों को आधार माने तो आंकड़े सिर्फ उन मामलों के हैं जो दर्ज हुए हैं, असल में वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक होगी. छोटे गांवों और कस्बों में तो बहुतेरे हिंदू माता पिता के लिए इस बात का खुलासा करना ही बेहद अपमानजनक होता है पारिवारिक सम्मान जैसे दबाव भी माता पिता को अपनी लड़कियों को उनके भाग्य पर छोड़ देने को मजबूर करते हैं. जिस कारण उस भाग्य का रास्ता सीधे कहाँ खुलता है किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है. आज जिस तरह सत्ता में बैठे लोग इन संस्थाओं पर लगाम लगाने की मांग तो कर रहे है लेकिन सवाल यह भी है कि आखिर लगाम लगायेगा कौन?…राजीव चौधरी

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