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एक संत और सही

दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा
दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा
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वेटिकन के कारखाने से संत बनकर निकलना कोई बड़ी बात नही जब भी वेटिकन को ईसाइयत दरकती दिखाई देती है तो वहां अचानक एक संत बना दिया जाता| इस बार भी ऐसा ही हुआ और वर्षो तक भारत में गरीब भोले-भाले लोगों की गरीबी पर ईसाइयत खड़ी करने वाली लेडी टेरेसा अब मदर टेरेसा को संत बनाकर भारत के अन्धविश्वास को बड़ी भारी हवा दी है| 4 सितम्बर को वेटिकन सिटी टेरेसा को संत घोषित कर दिया गया| ऐसा नही है यह सब एक दम से हुआ जबकि पिछली सरकारों और भारत के तमाम तथाकथित संतो और धर्मगुरुओं को इसका जानकारी थी किन्तु आर्य समाज के अलावा कोई भी इस अन्धविश्वास के खेल के सामने बोलने से कतरा रहा है| डॉ. श्रीरंग गोडबोले जिनका लेख मराठी साप्ताहिक पत्रिका विवेक के 7 दिसम्बर 2003 के अंक छपा था तब उन्होंने इस पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि वर्तमान पोप को संत निर्माण करने की अत्यधिक शीघ्रता आ गई हैं| 1978-1999 के दौरान उन्होंने 283 संत पद और 819  धन्य पद निर्माण किये| उसके बाद मात्र चार वर्ष में  यह संख्या 477 संत पद और 1318 धन्य पद तक पहुँच गयी| अभी तक सभी पोपों द्वार निर्माण गये संत पद और धन्य पदों की संख्या की तुलना में इन चार वर्षों की संख्या अधिक है|  (इंडियन एक्सप्रेस 14 अक्तूबर 2003)  सिल्वियो ओद्दी नामक 86 वर्षीय वयोवृद्ध कार्डिनल ने भी स्वयं के संस्मरणों में वेटिकन को ‘संत बनाने का कारखाना” जैसी टिपण्णी की है ये तो ठीक है पर पोप को संत पद प्रदान करने के लिए कैसे लोग पसंद आते है ? प्रदर्शनी के समय लोगों में दहशत फैलाने वाले और फांसी की सजा पाए हुए फ्रायर सारानोवा और इसी तरह गुप्त तरीके से काम करने वाले गुप्त केथोलिक संगठन “ओपस डे” के संस्थापक “जोस मारिया द बलागे “  जैसे लोग टेरेसा के साथ संत पद की लाइन में खड़े है|

टेरेसा के सम्बन्ध में वर्तमान पोप ने इस पूरी प्रक्रिया की अनदेखी की है 1997 में टेरेसा के मृत्यु के एक वर्ष पश्चात ही यह प्रक्रिया प्रारम्भ कर ली गयी टेरेसा के मामले में वकील दायबोसी की नियुक्ति नहीं हुई ऐसा दावा किया गया की मोनिका बेसरा  नाम की एक महिला के पेट में कर्क रोग (केंसर) की एक गांठ थी| ननों ने उस महिला को टेरेसा के कमरे में ले जाकर टेरेसा की प्रतिमा के कमर से बांध दिया और प्रार्थना की उस दिन टेरेसा का प्रथम स्मृति दिवस था| इसके पश्चात अद्भुत चमत्कार हुआ| मोनिका बेसरा  के पेट में स्थित केंसर की गांठ दूसरे दिन अदृश्य हो गयी| पोप ने पिछले वर्ष इस चमत्कार को मान्यता दी|

मोनिका बेसरा का इलाज कर रहे और संभाल रखने वाले डॉ.रंजन मुस्तकी के अनुसार वह गांठ कर्क रोग (केंसर) की नहीं होकर क्षय रोग (टी. बी.) की थी और डाक्टरी चिकित्सा तथा दवाओं की वजह से यह गांठ ठीक हुई| मोनिका बसेरा के पति ने अक्टूबर 2002. में स्वयं “टाइम” मैगजीन को एक मुलाकात दी थी और उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी चमत्कार के कारण नहीं बल्कि चिकित्सा और दवाइयों की वजह से स्वस्थ हुई है| मुझे इस प्रकार के सारे तमाशे बंद करवाने है| मदर टेरेसा की प्रतिमा की कमर में बांधने से उनकी पत्नी की वेदना कम हुई यह उन्होंने स्वीकारा| परन्तु सामान्य स्थिति में भी उनको वेदना कम ज्यादा होती ही थी|

परन्तु अब मोनिका का पति दूसरा ही राग अलाप रहा है| लन्दन से प्रकाशित दैनिक “न्यू स्टेटमेन”(27 अक्टूबर 2003) ने मोनिका के पति के बदले हुए सुर पर मार्मिक टिपण्णी की है| जमीन खरीद के लिए ( मोनिका के पति ) को पैसे दिये गये तथा उनकी पांच संतानों के शिक्षा का खर्च योगिनियाँ उठा रही है| क्या इसके चलते ही (मोनिका के पति ) ने अपना निवेदन बदला है ?

परन्तु पोप कैसे एकाग्रचित है?  टेरेसा को किसी भी हालत में संत पद प्रदान करना ही है ऐसा उन्होंने अपने मन में निश्चित कर लिया है| इसलिए पोप ने ऐसे मुश्किल में डालने वाले प्रश्नों के उत्तर नहीं दिए| दूसरा चमत्कार होगा ही और टेरेसा को संत पद प्राप्त होना ही है इस बारे में किसी प्रकार की शंका रखने का कोई कारण नहीं है| वर्तमान “पोप” को संत निर्माण करने की अधिक जल्दी है| वर्तमान पोप संत पद का थोक में वितरण करने के लिए इतने उत्सुक क्यों है ?संत पद प्रदान करने की प्रक्रिया अभी तक यूरोप केन्द्रित ही रही है| हिंदुस्तान में ईसाईयों के पांच सौ वर्ष के इतिहास में वैटिकन को  भारत में से एक भी व्यक्ति संत पद प्राप्त करने हेतु पसंद नहीं आया| फादर जोसेफ वाज नाम के गोवा के मिशनरी  को धन्य पद प्राप्त करने के लिए उनके मृत्यु के बाद लगभग 248 वर्षों तक इंतजार करना पड़ा इसके बाद उन्हें धन्य पद प्राप्त हुआ|

यूरोप में ईसायत की इमारत टूट गयी है| वहां के चर्च खाली पड़े है| स्वभाविक रूप से इस शताब्दी में पुरे एशिया खास कर हिंदुस्तान में धर्मनान्तरण को बढ़ाने की पोप की योजना है| वैटिकन जैसे धार्मिक स्थान के बदले में व्यापारी तत्वों के आधार पर चलने वाली बहु राष्ट्रीय कंपनियों को देखने से पोप के इन कारनामों को समझा जा सकता है| अपना माल बेच कर लाभ कमाने के लिए जैसे कोई होशियार कंपनी “ब्रांड” को तलाशती है और मार्केटिंग के आधार पर उस ब्रांड को लोकप्रिय बनाती है उसी तरह वैटिकन “मदर टेरेसा “ के ब्रांड का उपयोग हिन्दुओं के  धर्मनान्तरण के लिए करेगा यह निश्चित है|दलित ईसाईयों को आरक्षण मिले इसके लिए टेरेसा ने राजघाट पर धरना दिया था| जब इस मांग पर टिपण्णी और आलोचना होने लगी तो मुकरते हुए भोली बनते हुए बताया कि इस कार्यक्रम के उद्देश्य की मुझे जानकारी नहीं थी बाद में पता चला कि उनको उस कार्यक्रम का औपचरिक आमन्त्रण पत्र भेजा गया था|निरपेक्ष सेवा करने वाले के सामने जाति धर्म का भेद किये बगैर नत मस्तक होना ही चाहिए परन्तु टेरेसा की सेवा को निरपेक्ष नहीं कहा जा सकता यह खेद पूर्वक कहना पड़ता है| आर्य समाज

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