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दूसरा कदम भी साहसिक,किन्तु!!

दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा
दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा
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राजनीति से हटकर यदि बात सामाजिक हित के नजरिये से देखने की हो तो अन्य राज्य भी बिहार से अच्छी शिक्षा ले सकते है| अप्रैल माह से शराब पर पूर्ण प्रतिबंध के डेढ़ महीने बाद बिहार राज्य सरकार ने गुटखा व पान मसाला के उत्पादन, बिक्री, ढुलाई, प्रदर्शन व भंडारण पर भी एक साल तक पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। राज्य के लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते यह आदेश जारी किया है। इसके लिए बिहार सरकार वाकई में प्रशंसा की पात्र है| बिहार में 53  प्रतिशत लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं, जिसमें 66 प्रतिशत पुरुष तथा 30 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं हैं।यदि तम्बाकू से हो रहे नुकसान पर गौर करें तो पता चलता है कि इसे खाने से 90 फ़ीसदी मुंह के कैंसर हो जाते हैं, यह उत्पाद मुंह के कैंसर सहित गले और कई प्रकार के कैंसरों का कारण बनता है, एक शोध की मानें तो देश में तम्बाकू से सबसे ज्यादा कैंसर के मामले सामने आते हैं और लाखों लोग असमय इसका शिकार हो जाते हैं| पर बात प्रतिबंध तक सिमित ना रहे इसके लिए कुछ जरूरी कदम भी उठाने पड़ेंगे| सरकार को जनजागरण अभियान चलाने चाहिए लोगों को सचेत करना होगा कि ये कदम आपका शरीर और पैसा बचाने के लिए है| ऐसा ना हो कि सरकारी तौर पर प्रतिबंध लगा हो और राज्य में तम्बाखू, गुटका, शराब के अवैध कारोबारी पनप जाये और आदतवश लोग 2  रूपये का तम्बाकु  (मौत) 10 रूपये में खरीद कर सेवन करते रहे|

क्योकि पिछले दिनों शराब पर प्रतिबंध लगने के बाद से जैसी खबरे बिहार से आ रही है, वो वाकई में चौकाने वाली है| शराब के पूर्ण प्रतिबंध को बिहार में भले ही कड़ाई से लागू कराया जा रहा हो, लेकिन सीमांचल के जिलों में न तो स्थानीय प्रशाशन पूरी जवाबदेही के साथ कार्रवाही के साथ काम रहा है और न ही स्थानीय शराबियों पर सरकार की अपील का कोई असर पड़ रहा है। हालत तो यह हो गयी है लोग बड़े आराम से सीमा पार कर शराब सेवन करते हैं। इसके अलावा गरीब महिलायें इन दिनों शराब स्मगलर बन गयी हैं। सीमा पर महिला जवानों की तैनाती नहीं होने के कारण शराब के कारोबार से जुड़ी महिलाओं की जांच नहीं की जाती है। बिहार और नेपाल के सटे जिलों में महज 5  से 20 किलोमीटर के अंदर आते है। जो महज 10  मिनट से 30  मिनट की दुरी तय कर बड़े ही आराम से शराब पीकर वापस चले आते है। जिस कारण शराब के ठिकाने पर जमघट लगा रहता है। यहीं नहीं अब तो शराब तस्करी की बात भी सामने आ रही है। जो नेपाल से चोरी छिपे बिहार में बेचीं जा रही है| ग़ौरतलब है कि जहा शराब के शोकीन ऊंची कीमत पर भी शराब खरीदने को तैयार हैं। वहीं तस्करो का गिरोह भारी मुनाफा कमाने के लिए शराब के तस्करी का कारोबार शुरू कर दिया है। बताते चलें कि हाल में ही से बालू लदे ट्रक पर शराब की बोतले पकड़ी गयी थी। इतना ही नहीं शराब तस्कर टिफिन और झोलों में शराब भरकर ले आते हैं।

पिछले दिनों बिहार के राज्यपाल ने तंबाकू सेवन के खतरों से आगाह करते हुए कहा था कि राज्य में नागरिकों की स्वास्थ्य रक्षा के लिए काफी तेजी से तम्बाकू निरोध की दिषा में आवश्यक कार्रवाई करनी होगी, ताकि तम्बाकू की खपत में तेजी से कमी लाई जा सके। बिहार में तम्बाकू सेवन उत्तरपूर्वी राज्यों को यदि छोड़ दिया जाये, तो भारत के अन्य राज्यों की तुलना में यह संख्या सबसे ज्यादा है। प्रतिवर्ष तम्बाकू जनित रोगों से केवल बिहार में करीब एक लाख लोगों की मौत होती है। तम्बाकू-इस्तेमाल के कारण बिहार में सबसे ज्यादा मुँह और गले का कैंसर होता है एवं खैनी, गुटखा, पान-मसाला इत्यादि खाने से भी गरीब एवं निम्न मध्यम वर्ग के लोग कैंसर की इस जानलेवा बीमारी के शिकार बनते हैं। महिलाओं के लिए बच्चेदानी का कैंसर एक बड़ी समस्या है। इससे करीब दो लाख पच्चासी हजार महिलायें पूरे विश्व में प्रतिवर्ष मरती हैं। राज्यपाल ने कहा कि इन करीब तीन लाख महिलाओं में से करीब 80   प्रतिवर्ष तो सिर्फ भारत जैसे विकासशील देशों में ही अपने प्राण गँवाती हैं। जनहित में बिहार सरकार द्वारा उठाये जा रहे यह कदम सराहनीय होने के साथ अन्य राज्यों के लिए प्रेरणादायक हो सकते है| किन्तु सामाजिक हित में सरकारे ध्यान रखे पूर्ण प्रतिबंध का अर्थ पूर्ण प्रतिबंध ही होना चाहिए|….दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा लेख राजीव चौधरी

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