Menu
blogid : 23256 postid : 1148785

जाति धर्म के अलग -अलग चश्मे

दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा
दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा
  • 289 Posts
  • 64 Comments

दिल्ली के विकासपुरी में मामूली कहासुनी के बाद एक डॉक्टर की पीट-पीट कर हत्या करने के आरोप में पुलिस ने पांच आरोपि‍यों को गिरफ्तार कर लिया है इस खबर पर चुप रहते – रहते राजनीति होना शुरू हो गयी है हर एक न्यूज़ चैनल अपने नजरिये से इस खबर को प्रसारित कर रहे है| खेर सांच को आंच नहीं,सच सामने आएगा! खुद में भी इस मामले को समझते समझते यहीं तक पहुंचा हूँ कि इन्सान के अन्दर हिंसा पनप रही है, वो दिन पर दिन हिंसक हो रहा है| आगे आने वाले समय में यह रोग घटने के बजाय बढ़ता ही जायेगा| अभी वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ ने 19 मार्च को दिल्ली के राजेन्द्र भवन में शुरू हुए दो दिवसीय सम्मेलन ”सिकुड़ता लोकतांत्रिक स्पेस और नव-उदारवादी कट्टरता” का पहला वक्तव्य देते हुए कहा था कि मीडिया वह सेज है जहाँ मज़हबी कट्टरता और बाज़ार की कट्टरता हमबिस्तर होंती है। करीब एक घंटे के अपने संबोधन में पी साईनाथ ने बहुत सी बातें कहीं, लेकिन केवल पौने दस मिनट, जो मीडिया की भूमिका पर खर्च किये, वे किसी के लिए भी दवा की खुराक का काम कर सकते हैं खासकर उनके लिए जिसके दिमाग में खासकर पिछले कुछ महीने में मीडिया ने ज़हर भर दिया है।

हमे पी साईनाथ की यह बात इसलिए अच्छी लगी कि उनकी यह बात दवा की तरह कडवी जरुर है लेकिन समाज और सिस्टम के लिए फायदेमंद है| पिछले दिनों अख़लाक़ की कुछ लोगों पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी थी| मसला गौमांस को लेकर विवाद था| हालाँकि यह प्रसंग मीडिया और राजनीति ने इतना चूसा की बिहार विधान सभा चुनाव असहिष्णुता की भेट चढ़ गया| नयनतारा सहगल, अशोक बाजपेयी, व् फिल्म निर्माता निर्देशक, गायक कलाकार अपने अवार्ड पुरस्कार लौटाने तक चल दिए थे| समाजवादी सरकार में वर्तमान मंत्री आजम खान ने तो यूएनओ को चिट्ठी तक लिख डाली थी कि देखिये साहब भारत में मुस्लिमों को पीट पीट कर मारा जा रहा है| आनन्  फानन में दादरी राजनीति का गढ़ बन गया| साध्वी, ओवेशी, केजरीवाल आदि नेता राजनीति करने पहुँचे थे या सवेदना व्यक्त करने यह हर कोई जानता है| किन्तु मामला इतना गूंजा कि ब्रिटेन पहुँचे प्रधानमंत्री मोदी को वहाँ प्रेस कांफ्रेंस में इस मामले पर सफाई देनी पड़ी| उत्तर प्रदेश सरकार ने तत्काल सवेंदना प्रकट करते हुए अख़लाक़ की विधवा पत्नी को फ्लैट और नकद लाखों रूपये देने का आश्वासन दिया|

किन्तु पंकज नारंग की कहानी दूसरी है, अभी तक उनकी लाश में राजनीति और मीडिया को दिलचस्पी नहीं है, ना ही उनकी विधवा पत्नी के लिए वो आंसू इतने मायने रखते जितने रोहित की माँ और अख़लाक़ की पत्नी के कीमती थे| दिल्ली के मुख्यमंत्री, रोहित वेमुला की आत्महत्या पर हैदराबाद पहुँच गये थे| किन्तु दिल्ली का विकासपुरी कांड अभी उनसे दूर है? देहरादून में घोड़े की टांग टूटना मीडिया के लिए बहुत बड़ी खबर बन जाती है घोडा मीडिया की मानवीय सवेंदना जगा सकता है किन्तु एक मासुस बच्चे के सामने उसके बाप को 15-20  लोगों द्वारा पीट कर मारना सवेदना की एक लाइन नहीं बन पाती यदि डॉक्टर की पत्नी अल्पसंख्यक समुदाय या दलित समाज से होती तो शायद अब तक वो हो जाता जो अभी हम कल्पना भी नहीं कर सकते है| हर मुद्दे को जाति धर्म के चश्मे से देखने की शुरुआत राजनीति के द्वारा की गयी जिसे बाद में मीडिया ने बखूबी बेचा आज यह चींजे हमारे लिए मनोरंजन या अन्य विषय का प्रसंग हो सकती है किन्तु इससे समाज में छोटे बच्चों पर तो विशेष रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वो सोचते हैं कि न्यूज़ चैनल का मतलब हैलूट, हत्या,देशद्रोह और बलात्कार की घटनाओं का अड्डा है। वे सोचते हैं कि समाज भी शायद इन्हीं विसंगतियों से बनता है।

यदि पंकज की हत्या का कारण तलाशा जाये तो कुछ भी नहीं किन्तु इसे “होनी बलवान है”  यह कहकर भी टालना उचित नहीं है क्योकि हत्या करने वालों में करने वालों में चार आरोपी नाबालिग हैं, जिन्हें हिरासत में लिया गया है| आमिर नाम के दो, नासिर, मयसर, गोपाल और मसिरा नाम की महिला भी है| हो सकता है कल जब वो बाल सुधार ग्रह से वापिस आये तब तक जाति और मजहब की राजनीति इतनी मजबूत हो चुकी हो कि उनके सम्मान पर पलक पांवड़े बिछाये जाये?  डॉ. पंकज नारंग की पत्नी को मीडियाई और राजनैतिक लिहाज से मै बदकिस्मत कह सकता हूँ, कि अब तक राज्य के मुख्यमंत्री आम आदमी के संयोजक केजरीवाल को उनके आंसू दिखाई नहीं दिए जो अख़लाक़ की विधवा बीबी को 15 लाख का चेक सौप आये थे| हो सकता है ये मुख्यमंत्रियों की ये बंदिशे हो? कि वो तभी किसी मृतक के घर जाएं जब वो दलित या अल्पसंख्यक रहा हो, या सांप्रदायिक हिंसा में मारा गया मुसलमान हो? में यह नहीं चाहता की इस मुद्दे पर भी धर्म की राजनीति हो पर प्रश्न उन मजहबी मानसिक रोग ग्रस्त  राजनीति करने वालों है उन लेखकों से  है, उन कलाकारों से  है? राजीव चौधरी

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh