Menu
blogid : 23256 postid : 1142796

शहादत की राजनैतिक परिभाषा!!

दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा
दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा
  • 289 Posts
  • 64 Comments

हाथों में तख्तियां लिए शांति पूर्ण तरीके से देशभक्ति के नारों के साथ आर्य समाजदिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के कार्यकर्ता रविवार 28 फरवरी तडके देशद्रोहियों के खिलाफ कड़ी कारवाही की मांग की करते हुए दिल्ली के ११ स्थानों पर एकत्र हुए धरना विरोध प्रदर्शन किया| आर्य समाज ने देश के अन्दर कुछ मीडिया हॉउस द्वारा फेलाए जा रहे जातिवाद, आतंकियों की पेरवी कर रहे लोगों की निंदा की लोगों से आह्वान किया कि आज देश की एकता अखंडता के खिलाफ चल रही सजिशो का यदि हमने मिलकर मुकाबला नहीं किया देश विरोधी तत्वों के मनसूबे सफल होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा हमें जातिवाद, क्षेत्रवाद भाषावाद से ऊपर उठकर एक जुटता दिखानी होगी तभी इन ताकतों को कुचला जा सकता है| इस मौके पर आर्य समाज ने सरकार से अपील करते हुए कहा आर्य समाज हमेशा से विभिन्नता में एकता के इस लोकंतंत्र के मंदिर में अपनी पूर्ण निष्ठा, आस्था रखता आया है संसद पर हमला करने वालों को शहीद बताने वालों पर सख्त से सख्त सजा की मांग रखी और इस देश द्रोही कृत्य पर सत्ता और विपक्ष को एक होकर कारवाही करने का आह्वान किया|
क्योकि अब पीड़ा होती है शहादत की इस राजनीतिक परिभाषा से क्या अब यहाँ हर कोई शहीद है? जबहरियाणा में जगह-जगह लोग ट्रेन की पटरी उखाड़ रहे थे, तब कैप्टन पवन कुमार, कैप्टन तुषार महाजन, समेत 5 जवान देश के दुश्मनों से लोहा लेते –लेते हमारी हिफाजत कर शहीद हो गये| किन्तु जितना दुःख हमे उन वीरो की शहादत का है उससे ज्यादा इस बात का है कि धर्म और राष्ट्र का सम्मान करते-करते जो प्राण स्वाह कर जाये वो तो शहीद है किन्तु जो देश में दंगा फसाद करता-करता मारा जाये वो भी शहीद है? 6 दिन रात 35 फिट बर्फ के नीचे जिन्दगी और मौत से लड़ने वाला हनुमंतथप्पा भी शहीद और मुंबई में एक हजार लोगों को मारने वाला याकूब मेनन भी शहीद, बाटला हॉउस में मरने वाले आतंकी भी शहीद और इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा भी शहीद, इशरतजहाँ, कसाब ना जाने इनके लिए कितने लोग शहीद है| और तो और इस देश में तो कंकर पत्थर से बनी मस्जिद भी शहीद हो जाती है| वो कहते है न जो राष्ट्र की रक्षा करते है राष्ट्र उनकी रक्षा करता है| देशभक्त वही है जो देशवासियो का सम्मान करताहै।
क्या देश के तथाकथित राजनेताओं की मति सत्ता की चाह में इतनी कुंठित हो गयी है? कि वो हर किसी की चिता को शहीद बनाकर कुर्सी पूजन कर दीपावलीमना रहे है| अजीब विडम्बना देखो- कैप्टन पवन कुमार भी शहीद हुआ उसके लिए विपक्ष के किसी नेता के पास दो शब्द नहीं थे| किन्तु उन दंगाइयों के जो सेना के जवानों पर तमंचे से फायर झोंक रहे थे उन्हें मरण उपरांत के कुछ समय बाद ही लोगों ने शहीद बना दिया| खाली इन्हें ही क्या कहें यहाँ तो हर कोई शहीद है! संसद पर हमला करने वाला अफजल भी शहीद है और उसकी रक्षा करते अपने प्राण गवाने वाले जवान भी शहीद क्या वीरगति को प्राप्त हुए जवानों के साथ इससे बड़ा मजाक कुछ हो सकता है? कितने लोग जानते है कि लोकतंत्र के मंदिर कीरक्षा करते हुए शहीद होने वाले जवानों को? बहुत कम लोग ही जानते हैं किलोकतंत्र पर हुए इस सबसे बड़े हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवान,सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल,संसद के दो गार्ड,संसद में काम कर रहा एक माली और एक पत्रकार शहीद  हो गए थे। आखिर ऐसा क्यों…कि हमें फिक्र है आतंकियों की है तभी शायद कश्मीर में अफसा हटाने की बात होती है स्मरण रहे आतंकी का मिशन होता है किन्तु सेना के जवान सिर्फ हमारी रक्षा के लिए खड़े है लेकिन हम जरा भी चिंता नहीं करते उन सजग प्रहरियों औरसुरक्षाकर्मियों की जिनके कारण आज हम सुकून की नींद सोते हैं,लोकतंत्र कीखुली हवा में सांस लेते हैं। आज का युवा नेताओं के झंडे उठाकर उनकेमान-सम्मान की बहुत फिक्र पालता है,लेकिन वह उन नेताओं से यह नहीं पूछताकि आखिर क्या हुआ जेल में बंद हमारे दुश्मनों का और क्या किया जा रहा हैशहीदों के परिजनों के लिए? नेता ही क्या आज कई मामलो में युवा भटकता दिखाई दे जाता है| चोराहो पर नवयुवको के हाथों में आतंकियों के पोस्टर थमाकर देश के विरुद्ध नारे लगवाये जाते है, किन्तु शहीद हनुमंतथप्पा का नाम भी उसकी चिता के साथ अग्नि में प्रवाहित सा कर दिया गया|
आखिर यह नौबत क्यों आती है किशहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए तमाम दलों के नेता व सांसद क्यों एक नहीं होते देश सबका है सेना बिना भेदभाव किये हमारी रक्षा करती है तो क्या हम उनके लिए बिना भेदभाव प्रार्थना नहीं कर सकते आज मीडिया भी नेताओं पर दिनभर उमर खालिद, कन्हैया की चर्चाकरते रहते हैं लेकिन कितने शहीदों के घर आज चूल्हा जला की नहीं इसकी किसी कोपरवाह नहीं है। हर वर्ष शहीदों के परिजनों को झूठे वादे के साथ शाल औरश्रीफल देकर विदा कर दिया जाता है। आज इस कारण हम सबमजबूर हो कर सुन रहे है भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह-इंशाअल्लाह, भारत की बर्बादी तक जंग जारी रहेगी हम किसी सम्प्रदाय या व्यक्ति को दोष नहीं दे रहे है बस उसव्यवस्था को प्रश्न कर रहे है जो राजनैतिक व्यवस्था बनकर शोषण कर रही है कृपया सोचो आखिर इस बारे में सोचना किसे है? लेखक राजीव चौधरी

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh