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धर्म से चलता कारोबार

दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा
दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा
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डेरा सच्चा सौदा कॉम्प्लेक्स के पास बाजेकन रोड पर स्थित MSG बिल्डिंग में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बाबा गुरमीत ने 151 प्रोडक्ट्स को लॉन्च किया. ये प्रोडक्ट घरेलू तथा इंटरनेशनल मार्केट में एक साथ लॉन्च किए गए हैं. इनमें 14  प्रकार की दालें, 41 प्रकार के ग्रॉसरी आइटम, सात तरह के चावल और खिचड़ी, तीन तरह की चाय, पांच प्रकार की चीनी, तीन तरह का नमक, आटा, देशी घी, मसाले, अचार, जैम, शहद, मिनरल वॉटर और नूडल्स शामिल हैं, इससे पहले योग गुरु बाबा रामदेव भी अपने प्रोडक्ट लेकर बाजार में एक छत्र राज कर रहे है योगगुरु के रूप में बाबा रामदेव की पहचान पूरी दुनिया में है। करीब 15 पहले साल पहले तक हरिद्वार की सड़कों पर संघर्ष करने वाले बाबा रामदेव ने करीब 2,000… करोड़ का बिजनेस एम्पायर खड़ा कर लिया है। आज धर्म के साथ बाबा की व्यापारिक प्रतिष्ठा भी किसी से छिपी नहीं है| यदि धर्म की दुनिया और बड़े धार्मिक चेहरों की और रुख करे तो  सुधामणि इदमन्नेल, जिन्हें आज दुनिया माता अमृतानंदमयी देवी और अम्मा के नाम से जानती है। माता को पूरी दुनिया दूसरे के दुख दूर करने वाली और प्रेम से गले लगाने वाली अपनी मानवीय गतिविधियों के लिए जानी जाने वाली माता अमृतानंदमयी देवी के ट्रस्ट के पास करीब 1,500 करोड़ रुपए की संपत्ति का स्वामित्वहै।

इनके बाद इस बड़े चेहरे को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता श्री श्री रविशंकर को पूरी दुनिया में आध्यात्मिक गुरू के रूप में जाना जाता है। तमिलनाडु में पैदा हुए एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 1,000 करोड़ की संपत्ति वाले श्री श्री रविशंकर की आय मुख्य जरिया ऑर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन है। इसके अलावा श्री श्री शंकर विद्या मंदिर ट्रस्ट,… के अलावा श्री श्री शंकर विद्या मंदिर ट्रस्ट, पी यू कॉलेज बेंगलुरु, श्री श्री मीडिया सेंटर बेंगलुरु, श्री श्री यूनिवर्सिटी भी है, जहां से इनका कारोबार चलता है। … अमीर धार्मिक गुरुओं की लिस्ट में अगले पायदान पर हैं बापू के नाम से मशहूर आसाराम बापू है। बीते एक अरसे से जेल में बंद आसाराम बापू पर गुजरात में जबरन जमीन हड़पने समेत कई तरह के आरोप हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक आसाराम बापू करीब 10,000 करोड़ रुपए की… संपत्ति के मालिक हैं। बापू के भी तमाम प्रोडक्ट उनके भक्त इस्तेमाल करते रहे हैं।

भारत देश को देवभूमि कहा जाता रहा, पुरे विश्व में यदि किसी ने धर्म को जानना चाहा तो बिना भारत का रुख किये उससे धर्म का ज्ञान अछूता रहा किन्तु आज की बदलती सदी ने आत्मिक चेतना के इस विषय को बाजार की एक दुकान बना दिया आध्यात्मिक विषय को व्यावयासिक रूप दिया और अध्यात्म को बाजारों के उत्पाद में पैक कर दिया| आखिर इन सब के क्या निहितार्थ हैं। क्या इससे हमारा देश पूरी तरह से धार्मिक देश बन गया है? और यहां के लोग अत्यंत धार्मिक जीवन जीने लगे हैं| क्या मात्र एक प्रोडक्ट खरीदने से लोग धार्मिक हो जाते है? आत्मिक चिंतन मनन मनुष्य के लिए कोई मायने नहीं रखता?

आप कहीं भी-कभी भी नजर उठाकर देख लें कोई न कोई धार्मिक आयोजन-अनुष्ठान होते अवश्य मिल जायेंगे। साईं अगरबत्ती बिक रही कहीं भगवती जागरण तो कहीं सत्संग हो रहे हैं। कभी नये धार्मिक टेलीविजन चैनल खुल रहे हैं। खबरिया चैनलों पर धन लक्ष्मी यन्त्र, हनुमान यन्त्र टी आर पी बढ़ाने के नाम पर अंधवि”वास को बढ़ावा देने की साजिश चल रही है। इस साजिश में कई धुरंधर पत्रकार बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। आज देश भर में जो पूरा तामझाम चल रहा है वह दरअसल धर्म को राजनीति का हिस्सा बनाने का नहीं, बल्कि धर्म को व्यवसाय बनाने के दीघZकालिक अभियान का हिस्सा है। जिस तरह से सौंदर्य प्रसाधन बनाने और बेचने वाली कंपनियां अपने उत्पादों के बाजार के विस्तार के लिये सौंदर्य प्रतियोगिता और फैशन परेड जैसे आयोजनों तथा प्रचार एवं विज्ञापन के तरह-तरह के हथकंडों के जरिये गरीब से गरीब देशों की अभाव में जीने वाली भोली-भाली लड़कियों के मन में भी सौंदर्य कामना एवं सौंदर्य प्रसाधनों के प्रति ललक पैदा करती है उसी तरह से विभिन्न धार्मिक उत्पादों के व्यवसाय को बढ़ाने के लिये धार्मिक आयोजन अंधविश्वास, अफवाह और चमत्कार जैसे तरह-तरह के उपायों के जरिये लोगों के मन में धार्मिक आस्था कायम किया जा रहा है ताकि धर्म के नाम पर व्यवसाय और भांति-भांति के धंधे किये जा सकें। वैसे देखे तो हमारी इन बाबाओं से कोई व्यक्तिगत ईर्ष्या नहीं है बस प्रसंग धर्म का है, तो आत्मा प्रश्न करती है क्या धर्म विभिन्न धार्मिक संस्थाओं की दुकानदारी बेरोकटोक चलती रहेगी? कहीं धार्मिकता के इस अभूतपूर्व विस्फोट के पीछे धर्म को बाजार और व्यवसाय में तब्दील करने की साजिश तो नहीं है? लेखक राजीव चौधरी

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